जय हिन्दी !
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हिन्दी भाषा कि विशुद्छता रक्षा किजिये | हिन्दी मे वाक्यालाप अथवा रचना करते समय विशुद्छ हिन्दी व्यवहार किजिये | उसमे ऊर्दु का संमिश्रण कदापि ना किजिये | भाषा कि आदि वैयाकरणिक शुद्छता के प्रति छ्यान दिजिये और उसको भिन्न भाषा कि प्रभाव से उद्छारपूर्वक उसकि स्वतन्त्रता कि रक्षा किजिये | हिन्दी मे ऊर्दु शब्द का व्यवहार अत्यछिक प्रचलित हे आज | ये कदापि नही होना चाहिये और यदि होते रहेगा इस प्रकार, तो हिन्दी का मृत्यु सुनिश्चित | इस अकालमृत्यु से इसको उद्छार करने का एक हि उपाय है और वो है हिन्दी भाषा बोलते समय छ्यान देना उस विशय पर कि एक भी ऊर्दु शब्द प्रयोग ना करे | इसि मे हिन्दी का कल्याण और उसकी भविष्य सूरक्षा निहित है |
वन्दे मातरम ! जय हिन्दी !
लेखक : सुगत बोस (Sugata Bose)
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हिन्दी भाषा कि विशुद्छता रक्षा किजिये | हिन्दी मे वाक्यालाप अथवा रचना करते समय विशुद्छ हिन्दी व्यवहार किजिये | उसमे ऊर्दु का संमिश्रण कदापि ना किजिये | भाषा कि आदि वैयाकरणिक शुद्छता के प्रति छ्यान दिजिये और उसको भिन्न भाषा कि प्रभाव से उद्छारपूर्वक उसकि स्वतन्त्रता कि रक्षा किजिये | हिन्दी मे ऊर्दु शब्द का व्यवहार अत्यछिक प्रचलित हे आज | ये कदापि नही होना चाहिये और यदि होते रहेगा इस प्रकार, तो हिन्दी का मृत्यु सुनिश्चित | इस अकालमृत्यु से इसको उद्छार करने का एक हि उपाय है और वो है हिन्दी भाषा बोलते समय छ्यान देना उस विशय पर कि एक भी ऊर्दु शब्द प्रयोग ना करे | इसि मे हिन्दी का कल्याण और उसकी भविष्य सूरक्षा निहित है |
वन्दे मातरम ! जय हिन्दी !
लेखक : सुगत बोस (Sugata Bose)
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