Tuesday 20 February 2018

हिन्दी रचना ... १

आप जिसकी सन्छान मे है, वो अपना भितर छुपा हुया है| वो हि है आत्मा, वो हि 'सदा जनानं हृदये सन्निविष्टः' ||

स्वदेशप्रेम एक दिव्य अनुभुति है, ऐक तपस्या का परिणाम जो हर ऐक का सौभाग्य नही होता प्राप्त करना |

सर्वोत्कृष्ट आध्यात्मीक प्रचार है ऐक तपस्यापूत जीवन जनसमुह के सामने स्थापन करना | रामकृष्ण परमहंस ईसकी पराकाष्ठा थे |

" करो सब निछावर, बनो सब षकिर " ... नेताजी

' बरसनं लागि बदरिया रुम झुम के ' --- कजरी, शुभमिता बेनर्जी
https://www.youtube.com/watch?v=z7G_iTCq5_c

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